''दादा को जो देना था बजट दे दिया है किन्तु,
आम लोग हाथ जोड़ कर खड़े हुए हैं ।
किन्तु ये न जानते हैं हमें छोटा करके ही,
सियासत के ये सारे लोग बड़े हुए हैं ॥
इतिहास साक्षी रहा है यही आम लोग,
मजबूर जब हो गए तो कड़े हुए हैं ।
मँहगाई पर घेर रहे अपने ही दल,
और हमारे प्रणव दादा अड़े हुए हैं ॥''
आम लोग हाथ जोड़ कर खड़े हुए हैं ।
किन्तु ये न जानते हैं हमें छोटा करके ही,
सियासत के ये सारे लोग बड़े हुए हैं ॥
इतिहास साक्षी रहा है यही आम लोग,
मजबूर जब हो गए तो कड़े हुए हैं ।
मँहगाई पर घेर रहे अपने ही दल,
और हमारे प्रणव दादा अड़े हुए हैं ॥''
THEEK BAAT HAI...........
ReplyDeleteTHEEK BAAT HAI...........
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