''वेतन स्वयं का बढ़ाया राजनीति ने तो,
बोलियेगा आम जनता कहाँ पे जायेगी ।
आप वंश हेतु जोड़ते हैं धनराशि क्या ये,
जनता दो वक़्त के निवाले नहीं खायेगी ॥
आज वक़्त आपका दिखाते मँहगाई खूब,
जनता भी तुम्हें मुँह हार का दिखायेगी ।
बजट से ज़्यादा रखनी नहीं उम्मीद क्योंकि,
अभी काबू में ये मँहगाई नहीं आयेगी ॥''
बोलियेगा आम जनता कहाँ पे जायेगी ।
आप वंश हेतु जोड़ते हैं धनराशि क्या ये,
जनता दो वक़्त के निवाले नहीं खायेगी ॥
आज वक़्त आपका दिखाते मँहगाई खूब,
जनता भी तुम्हें मुँह हार का दिखायेगी ।
बजट से ज़्यादा रखनी नहीं उम्मीद क्योंकि,
अभी काबू में ये मँहगाई नहीं आयेगी ॥''
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