28 February 2010

26 फरवरी 2010 - होली पर जेब ढीली.... इन्कम टैक्स में राहत पर अन्य करों में साँसत....

''कहो कैसे खुशियों के दीपक जलायें जब,
बची दियासलाई में सिर्फ एक तीली है
हमें मँहगाई ने रुलाया है बहुत अब,
एक खाली जेब वो भी आँसुओं से गीली है
जनता का दर्द सुनना ही नहीं चाहती है,
कहीं शायद सियासत ने भंग पीली है
लगता है रंग में उमंग ही नहीं है शेष,
क्योंकि होलिका पे सबकी ही जेब ढीली है ॥''

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