''साठा हो गए हैं पाठा असिया हैं रसिया से,
मन में उमंग, करते हँसी-ठिठोली है ।
लादी बेहयाई और पकड़ी भौजाई, बोलें
छोडो नहीं रंग डालो चूँनर या चोली है ॥
गली-गली शोर रंग डालो पोर-पोर,और
बतलादो आई हुडदंगियों की टोली है ।
भंग की तरंग में लगाते गाल पे गुलाल,
और झूम-झूम बोलते हैं आज होली है ॥''
19 March 2010
1 मार्च 2010 - आज होली है..............
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