''किया गया भण्डारा कृपालु जी के आश्रम में,
भोजन करायें मन में ये भावना जगी ।
असफल हो गई व्यवस्था जो बनाई हुई,
परिणाम ये हुआ कि भीड़ में पड़ी भगी ॥
कुछ लोग दबे कुछ लोग कुचले भी गए,
आज तक मौत भला किसकी हुई सगी ।
रूपये व भोजन कि लालसा में जुटे लोग,
किन्तु कुछ को तो सिर्फ मौत हाथ ही लगी ॥''
No comments:
Post a Comment