''राजनीति सेवा भावना का नाम थी परन्तु,
आज देखने को नहीं कोई कायदा मिला ।
दिखने लगा है सिर्फ व्यवसाय का स्वरुप,
आया जो भी राजनीति में तो फायदा मिला ॥
किन्तु जनता के हाथ में तो सिर्फ वायदे हैं,
पूर्ण होता हुआ वायदा यदा-कदा मिला ।
ऐसा लगता है राजनीति शेष वायदों की,
महिला आरक्षण पे फिर वायदा मिला ॥''
आज देखने को नहीं कोई कायदा मिला ।
दिखने लगा है सिर्फ व्यवसाय का स्वरुप,
आया जो भी राजनीति में तो फायदा मिला ॥
किन्तु जनता के हाथ में तो सिर्फ वायदे हैं,
पूर्ण होता हुआ वायदा यदा-कदा मिला ।
ऐसा लगता है राजनीति शेष वायदों की,
महिला आरक्षण पे फिर वायदा मिला ॥''
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