''चाहे आत्महत्या हेतु मज़बूर हों ग़रीब,
होकर के आप मालामाल खेलते रहो ।
शह और मात जनता की तक़दीर में है,
लेकर वज़ीर साथ चाल खेलते रहो ॥
राज्य कहे केंद्र और केंद्र कहे राज्य करे,
हाथ ले नाकामियों की ढाल खेलते रहो ।
मँहगाई कम करने की क्या ज़रुरत है,
आपस में आप फुटबाल खेलते रहो ॥''
No comments:
Post a Comment