''स्वयं की प्रतिभाओं की ही क्षमताओं से,
नवीन से नवीन इतिहास बोना चाहिए ।
न कि दूसरों को मिला लाभ देख देख कर,
मुँह अपना यूँ आँसुओं से धोना चाहिए ॥
कहीं मिलता है नया ज्ञान और कहीं सिर्फ,
प्राचीन परम्पराओं को न ढोना चाहिए ।
आया है विचार ये प्रथम बार पूरे देश
में ही शिक्षा पद्यति को एक होना चाहिए ॥''
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