''मुंबई के ताज को बनाकर निशाना ऐसा,
लगने लगा कि वो हवा में उड़ने लगे ।
किन्तु जब देखा विचलित न हुआ है देश,
तब ख़ुद दिल में आतंकी कुढ़ने लगे ॥
सोचने लगे कि क्रमवार हों धमाके धीरे-
धीरे और शहरों की ओर मुड़ने लगे ।
पुणे में आतंकियों ने किये जो धमाके सूत्र-
ग़ाज़ियाबाद से उसके ही जुड़ने लगे ॥''
No comments:
Post a Comment