''सेना है योद्धाओं का समूह देश रक्षा हेतु,
किन्तु उसमें भी अब स्वार्थ पलने लगे ।
क्योंकि सुकना से भी बड़ा हुआ घोटाला आज,
और कुछ नूतन स्वरुप ढलने लगे ॥
यानी कहने का अर्थ, अर्थ की ही चाहत में,
कुछ लोग देश का विश्वास छलने लगे ।
सेना की ज़मीन बेच डाली रानीखेत में भी,
औ अवैध रूप से मकान बनने लगे ॥''
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