''सरकार डाल-डाल अपराधी पात-पात,
दिल में यूँ जिंदगी का खौ़फ़ पलने लगा ।
दिल में यूँ जिंदगी का खौ़फ़ पलने लगा ।
कोई भी सुरक्षित नहीं है यही सोच-सोच,
पल-पल हौसले को डर छलने लगा ॥
जैसा-जैसा चाहता है वैसा-वैसा हो रहा है,
ऐसा लगता है कि आतंक फलने लगा ।
कूरियर बतलाता पग-पग पे है मौत,
बम का समान हमसे भी चलने लगा ॥''
पल-पल हौसले को डर छलने लगा ॥
जैसा-जैसा चाहता है वैसा-वैसा हो रहा है,
ऐसा लगता है कि आतंक फलने लगा ।
कूरियर बतलाता पग-पग पे है मौत,
बम का समान हमसे भी चलने लगा ॥''
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