''परिवार, ख़ुद का है पेट भरना ज़रूरी,
करनी पड़ेगी इस ख़ातिर कमाई तो ।
पल - पल जीते मरते हैं मज़दूर लोग,
दर्द कुछ वैज्ञानिकों को दिया सुनाई तो ॥
बोझ कम करने को दो कदम बढ़े तो सही,
अच्छा लगा कुछ संवेदनायें दिखाईं तो ।
उनकी तो ज़िन्दगी ही बोझ बनी किन्तु आज,
याद मज़दूर कामकाजियों कि आई तो ॥''
करनी पड़ेगी इस ख़ातिर कमाई तो ।
पल - पल जीते मरते हैं मज़दूर लोग,
दर्द कुछ वैज्ञानिकों को दिया सुनाई तो ॥
बोझ कम करने को दो कदम बढ़े तो सही,
अच्छा लगा कुछ संवेदनायें दिखाईं तो ।
उनकी तो ज़िन्दगी ही बोझ बनी किन्तु आज,
याद मज़दूर कामकाजियों कि आई तो ॥''
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