''भक्षक है, चाहे वह रक्षक लिवास में हो,
किन्तु अपराध भरपूर करता है जो ।
स्वार्थ हेतु मृत्यु के लिए जो उकसाता और,
पावन-सी ज़िन्दगी से दूर करता है जो ॥
आदमी का रूप किन्तु मानिए हैवान उसे,
व्यवहार हिंसक व क्रूर करता है जो ।
हत्या करने से भी बड़ा है अपराधी वह,
आत्महत्या हेतु मजबूर करता है जो ॥''
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