''उन्नति के उन्नत शिखर उसने छुए हैं,
श्रद्धा से जो सीढ़ी चढ़ा राम दरबार में ।
धर्मग्रन्थ कहें और जानते हैं सभी लोग,
भक्त से न कोई बड़ा राम दरबार में ॥
किन्तु जो भी भूलता है राम भी भुलाते उसे,
नियम बड़ा कड़ा है राम दरबार में ।
उसी राम को ही छोड़ दौड़े द्वार-द्वार किन्तु,
लौटकर आना पड़ा राम दरबार में ॥''
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment