"माना हर धर्म की हैं मान्यताएं भिन्न-भिन्न,
किन्तु फिर भी सभी में मेलजोल रहा है ।
आज ख़ुद को यूँ चर्चा में रखने के लिए,
कौन है जो अमृत में विष घोल रहा है ॥
या तो बेवकूफी दिखला रहा है ख़ुद की, या
भारतीय एकता की शक्ति तोल रहा है ।
देश का बनाकर मज़ाक रख दिया, क्योंकि
जिस के जो मन में आ रहा, बोल रहा है ॥"
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