"परिवार में हैं कुछ बातें दबी हुई, उन
बातों को प्रवीण अब आम मत कीजिये ।
मानता हूँ अन्दर गुबार आपके भरा है,
चाहे तस्वीर को प्रणाम मत कीजिये ॥
नज़रों ने आपकी उतार दिया है प्रमोद,
सामाजिक काम तो तमाम मत कीजिये ।
पहले ही भाई भून चुके गोलियों से आप,
अब उसे और बदनाम मत कीजिये ॥"
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