"देश की दशा, दिशा तो आपके ही हाथ में है,
ऐसे क्रोध का तो इज़हार मत कीजिये ।
निर्णय से यदि आप सहमत ही नहीं हैं,
तो भी आप ऐसे तकरार मत कीजिये ॥
कोई ज़ख्म धीरे-धीरे हो गया नासूर किंतु,
ख़ुद उसका यूँ उपचार मत कीजिये ।
माना राजनीति में नहीं है शिष्टता परन्तु,
अपना अशिष्ट व्यवहार मत कीजिये ॥"
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