"इन जनप्रतिनिधियों को चुनता है कौन,
सोचियेगा किसलिए खोट सहता है देश ।
संसद में दागी, अपराधी जो भरे हुए हैं,
इसलिए अन्तर की चोट सहता है देश ॥
तब आती कितनी शरम जब संसद में,
वोट के उछाले हुए नोट सहता है देश ।
अपने रहनुमाओं में नहीं हैं खामियां तो,
क्यूँ ये बार-बार विस्फोट सहता है देश ॥"
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