"नष्ट करते समय अपना अमूल्य जब,
चर्चाएँ करें राजनैतिक विकार की ।
बोलियेगा देश में ये कौन नहीं जानता कि,
जूती पुजती है आज सिर्फ चाटुकार की ॥
बुद्धिजीवियों ने मौनवृत धार लिया क्योंकि,
कोई राह दिखती नहीं यहाँ सुधार की ।
ऐसा लगे ख़ुद माँ को गाली दे रहे हैं, जब,
बात करते सियासी लोग संस्कार की ॥"
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