"हौसले से हमने दिया नहीं जबाब अब,
डरते हैं कहीं बगिया में विष बो न जाँय ।
वर्षों के प्यार से जुटाए हैं समर्थक जो,
सारे लोग एक पल में ही कहीं खो न जाँय ॥
छोडिये समर्थक भी सबसे बड़ा है खौफ़,
जीतने को निकले हैं हारकर सो न जाँय ।
नेता डरते हैं कि चुनावी रैलियों पे कभी,
हमले कहीं आतंकवादियों के हो न जाँय ॥"
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