11 March 2009

6 मार्च 2009 - गुलाल की बहार, रंगों की बौछार..... घूँघट की ओट से प्यार भरी लट्ठों की मार....बरसाना में हुई विश्वप्रसिद्ध लठामार होली.....

"यदि सच में हो ग्वाल, माँ ने हों खिलाये माल,
चले आना बरसाने एक बार, होली है
पीकर के भंग हुड़दंग करते हो खूब,
बड़े बनते हो सब तीसमार, होली है
दिखते हो भोले पर सब हो छिछोरे, खूब
डालते हो डोरे यूँ जताते प्यार, होली है
घूँघट की लेके ओट मार लाठियों की चोट,
सब गोपियों ने कहा लठामार, होली है ॥"

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