"शिष्य कहे जाते इस देश का भविष्य, अब
आप यूँ भविष्य का शिकार मत कीजिये ।
संस्कार सिखलाने का लिए दायित्व आप,
इतने खराब संस्कार मत कीजिये ॥
सदाचार, संस्कृति के संरक्षक हो, और
शिक्षक हो कोई अनाचार मत कीजिये ।
इतनी अनियमिततायें हैं, परीक्षाओं का
मान इतना भी तार-तार मत कीजिये ॥"
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