"काम ख़ुद का निकालना तो खूब जाने किन्तु,
जानती नहीं ये भावनाएं सिसकी हुई ।
ये है मेरी और सिर्फ मेरी ही रहेगी सदा,
वो ये मानता है एक बार जिसकी हुई ॥
रोज़ नए प्रेमी की ये राह तकती है, आज
इसकी हुई तो फिर कल उसकी हुई ।
सियासत सिर्फ एक कोठेवाली के समान,
ख़ुद सोचना ये आज तक किसकी हुई ॥"
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