"रक्षक ही आजकल भक्षक बने हुए हैं,
सभ्यता तो हो रही है लोप देख लीजिये ।
प्रेम, सदभाव के हैं भाव चूर-चूर क्योंकि,
बदले की भावनायें, कोप देख लीजिये ॥
साधारण बात होती जाती है गरम फिर,
होंठ पर गाली, गोली, तोप देख लीजिये ।
डा. मुनीश्वर के साथ आगरा में आप,
आकर पुलिस का प्रकोप देख लीजिये ॥"
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