19 March 2009

13 मार्च 2009 - फिर बन गया तीसरा मोर्चा...........

"चाहे आशियाना किसी का रहे रहे, चाह
ईंट की हो किसी का भी घर तोड़ लेती है
धाराएँ जो तीव्र गतिमान हों विकास ओर,
निज स्वार्थ हेतु धाराओं को मोड़ लेती है
लक्ष्य सिर्फ एक, दूसरा कोई सफल हो,
भले ख़ुद अपना ही भाग्य फोड़ लेती है
लेकर कहीं की ईंट और रोड़ा ले कहीं का,
भानुमती सदा कुनबे को जोड़ लेती है ॥"

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