"होली पर्व शक्ति पर भक्ति की विजय और,
घाव हृदय के सब सिलते हैं होली में ।
बनता कठोर भी तो कोमलता का प्रतीक,
पत्थर हृदय भी तो हिलते हैं होली में ॥
प्रेम बढ़ता है दूरियां भी मिट जातीं सब,
नज़दीकियों के फूल खिलते हैं होली में ।
गिले-शिकवे मिटाके द्वेष भावना को भूल,
आपस में सभी गले मिलते हैं होली में ॥"
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