"सत्तामद में न राम याद रहे यही सोच,
मन को क्यों फिर ग़मगीन करे जनता ।
आपका ये जोश कुछ दिन भी नहीं टिकेगा,
प्रतिक्रिया यदि भावहीन करे जनता ।।
कुर्सी की चाह ने दिलाये राम याद किन्तु,
सोचिये प्रयास क्यों नवीन करे जनता ।
सिंहासन पाके मन्दिर बनेगा ही बनेगा,
ये भी कैसे आपका यक़ीन करे जनता ।।"
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