"कैसा दौर आ गया है प्रेम की न बात कोई,
आपस में आज सिर्फ़ वाद-प्रतिवाद है ।
ईर्ष्या व द्वेष भावना में डूबे हुए सब,
ऊर्जा हमारी तो इसी में बरबाद है ।।
स्वाभिमान, राष्ट्र प्रेम से बड़ा है स्वार्थ देख,
बुद्धिजीवियों पे छाने लगा अवसाद है ।
आज तक देखा था चुनाव में विवाद किन्तु,
आज तो चुनाव के आयोग में विवाद है ।।"
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