"देखिये सियासत है कोठेवाली के समान,
लाजबाव हैं अदायें चाल मतवाली है ।
रोम-रोम स्वार्थ में सना हुआ है, सामने तो
हाथ जोड़े हुए किन्तु मुस्कान जाली है ।।
बाहर से दिखते दमकते सफेद वस्त्र,
सच ये है इनकी तो आत्मा भी काली है ।
आम जनता से नहीं कोई भी सहानुभूति,
सिर्फ वोट बैंक हेतु होली पे दिवाली है ।।"
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