"यूँ तो हर कृति में ही मौलिकता दिखती है,
इस बार किया कुछ ख़ास रहमान ने ।
रोम-रोम झूमने लगा था सबका, धुनों से,
जादू जब किया आस-पास रहमान ने ।।
सारे भारतीयों की दुआयें, सुभाशीष साथ,
टूटने दिया नहीं विश्वास रहमान ने ।
दो-दो आस्कर जीत रख भारती का मान ,
पावन-सा रचा इतिहास रहमान ने ।"
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