"आज बोलबाला धन और बाहुबल का है,
सत्यनिष्ठ और कर्मनिष्ठ लोग चन्द हैं ।
दोषी, अपराधियों के दण्ड प्रावधान की भी,
गति आप जानते ही हैं कि अति मन्द हैं ।।
ऐसा लगता है भँवरे हुए व्यवस्थापक,
और धनपति अपराधी मकरन्द हैं ।
कमियां अनेक हैं व्यवस्थाओं में इसलिए,
आज अपराधियों के हौसले बुलन्द हैं ।।"
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