"खुशहाल ज़िन्दगी जो लोग जी रहे थे उन्हें,
मजबूरियों में खुशियों को खोना पड़ा है ।
वर्षों की दौड़-धूप से जो मुस्कान मिली,
उन्हें मुस्कान से विहीन होना पड़ा है ।।
आंकड़े दिखाती राजनीति पे न फ़र्क कुछ,
सोचती नहीं कि कितनों को रोना पड़ा है ।
नए रोज़गार की तो बात कहाँ, एक लाख
पुरानों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है ।।"
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment