"काश ! ऐ आतंकवादियो ये जान लेते ज़रा,
जिसके लिए लड़ो वो तुम्हें जानता नहीं !
यानी सिर्फ़ उपयोग करना ही जानता है,
वक़्त पड़ने पे सच को भी छानता* नहीं !!
सौंपता है भारत जो दफ़नाने को तो, पाक,
अपने शवों को तक पहिचानता नहीं !
जिसके लिए बने आतंक के पुजारी वही,
पाक तुम्हें नागरिक तक मानता नहीं !!"
* छानबीन करना..
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