"वर्षों से राग ये अलापता रहा है पाक,
साक्ष्य हैं अपूर्ण, आज भी ये ज़िद ठानेगा !
आप भी बयानबाजी छोड़ दीजियेगा कोई,
वार कीजियेगा, तब तेवर को जानेगा !!
कोख जो आतंक की रहा है सदा, सोचियेगा,
सच वो सुबूत वाला कैसे पहिचानेगा !
पत्थर से देना होगा ईंट का जबाब क्योंकि,
लात का हो भूत कभी बात से न मानेगा !!"
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