"दूसरों का मुंह ऐसे देखते रहोगे या कि,
कभी मर्दानी भाषा में भी कुछ कहोगे !
भारती के आँचल के चिथड़े उड़ा रहे वो,
होकर सपूत कभी क्रोध में भी दहोगे*!!
हमले सहे हैं लालकिला, मुंबई पे और,
संसद पे भी सहा है और क्या-क्या सहोगे !
भारत में ख़ुद ही फैलायेगा आतंक और,
आप हो कि पाक को सुबूत देते रहोगे !!"
* खौलना
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