"बापू* आपकी ही ये सिखाई हुई, बोलिएगा
देश में है अर्थ क्या विशेष हड़ताल का !
आप एकता के लिए लड़े किंतु देश को ही,
खण्ड-खण्ड ना करे ये द्वेष हड़ताल का !!
सेना कुछ ऐसा ही जो सोचने लगी तो फिर,
सोचो कैसा होगा परिवेश हड़ताल का !
लगता है कभी जैसे हड़ताल देश की है,
कभी लगता है जैसे देश हड़ताल का !!"
* महात्मा गाँधी जी
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v good bahut accha likha he
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