"मन में, घृणा की दुर्गन्ध को मिटाके मित्र,
पावन, पुनीत प्रेम की सुगन्ध कीजिए ।
नारी इस देश का है मान, अपमान हेतु,
उठे नहीं हाथ ऐसा प्रतिबन्ध कीजिए ।।
भारतीय सभ्यता के लिए घोर चिन्तित ये,
हो रहा है, आप भी दिखावा बन्द कीजिए ।
मज़बूर होके कोई युवती करे ना नृत्य,
हो सके दो वक़्त खाने का प्रबन्ध कीजिए ।।"
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