"आलस में निर्णय का वक़्त खोते रहे कभी,
वक़्त पर निर्णय तो लिया ही नहीं गया !
भारती का लाल एक ऊधम सरीखा सिंह,
ऊधम-सा जीवन भी जिया ही नहीं गया !!
अमृत लुटाने वाला विषपान करता है ,
और हमसे तो विष पिया ही नहीं गया !
साथ अन्य देश थे तो वार होना चाहिए था,
किन्तु हमसे प्रहार किया ही नहीं गया !!"
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
bahut achchha likha hai bhai sahab..........
ReplyDelete