''पांच लोगों की गिरफ़्तारी से खुला ये राज,
असफलताओं के वो घाव सिल रहा है ।
सीमाओं से मिलती है दौलत अकूत इस,
ख़ातिर आतंक का चमन खिल रहा है ॥
आतंक फ़ैलाने मे ही काम आएगा ये धन,
सोच-सोच अपना कलेजा हिल रहा है ।
एलओसी पर करते हैं व्यापारी मदद,
पैसा लश्कर को सीमा से ही मिल रहा है ॥''
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