''पूरा देश जूझता आतंकवाद से जो आज,
यदि राजनीतिज्ञ नहीं तो यूँ दहेगा कौन ।
वे तो मान लेते और चल जाता काम किन्तु,
आम जनता की कवि नहीं तो कहेगा कौन ॥
महाराष्ट्र की विधानसभा पे आतंकी साया,
आख़िर सियासत नहीं तो ये सहेगा कौन ।
हमले का अँदेशा है पुलिस मुख्यालय पे,
अब बतलाओ कि सुरक्षित रहेगा कौन ॥''
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