''चुनते जिन्हें वो स्वार्थपूर्ति में लगें तुरंत,
देखिये अजीब साधना है देश के लिए ।
मँहगाई बढ़ती ही जाती थमती ही नहीं,
सच में ये घोर यातना है देश के लिए ॥
राजनीति ने ख़ुद वेतन बढ़ाये किन्तु,
भरपेट भोजन मना है देश के लिए ।
सांसद या मंत्रियों का कोटा ख़त्म हो गया तो,
सच में ये शुभ सूचना है देश के लिए ॥''
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