''झूठी सूचनायें पहुँचाती हैं यहाँ से वहाँ,
ऐसा लगता है यह काम है हवाओं का ।
देख लीजियेगा हर ओर ये सुरक्षित हैं,
लेकर कवच साथ चलतीं दुआओं का ॥
हर एक कमेंटी की कागजों में होड़ खूब,
संगम हो जैसे भटकाने की कलाओं का ।
यदि कमेंटी की मान लें तो उत्पीड़न यूँ,
होता नहीं कभी कामकाजी महिलाओं का ॥''
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