''खिसक न जाय मँहगाई से ये वोट बैंक,
जो कि काँग्रेस के विचार में ढला हुआ ।
क्योंकि हर शख्स इतना तो जानता है मित्र,
काटना ही पड़े अंग, जो भी हो गला हुआ ॥
जनता जो तुम्हें दिखने में मूर्ख लगती है,
जानती, सियासत से किसका भला हुआ ।
मँहगा न होगा डीज़ल व पेट्रोल क्योंकि,
कोर ग्रुप में नहीं ख़ुद फैसला हुआ ॥''
जो कि काँग्रेस के विचार में ढला हुआ ।
क्योंकि हर शख्स इतना तो जानता है मित्र,
काटना ही पड़े अंग, जो भी हो गला हुआ ॥
जनता जो तुम्हें दिखने में मूर्ख लगती है,
जानती, सियासत से किसका भला हुआ ।
मँहगा न होगा डीज़ल व पेट्रोल क्योंकि,
कोर ग्रुप में नहीं ख़ुद फैसला हुआ ॥''
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