''चलने के लायक समाज में नहीं हैं ऐसे,
खोटे सिक्के भी खरे हैं, राजनीति के लिए ।
अन्दर हक़ीक़त में रीते-रीते लोग वही,
बाहर भरे-भरे हैं, राजनीति के लिए ॥
देश की जड़ों का तो पता नहीं ज़रा भी किन्तु,
ख़ुद तो हरे-हरे हैं, राजनीति के लिए ।
शासन ने करवाया लाठी चार्ज उनपे जो,
सडकों पे उतरे हैं, राजनीति के लिए ॥''
खोटे सिक्के भी खरे हैं, राजनीति के लिए ।
अन्दर हक़ीक़त में रीते-रीते लोग वही,
बाहर भरे-भरे हैं, राजनीति के लिए ॥
देश की जड़ों का तो पता नहीं ज़रा भी किन्तु,
ख़ुद तो हरे-हरे हैं, राजनीति के लिए ।
शासन ने करवाया लाठी चार्ज उनपे जो,
सडकों पे उतरे हैं, राजनीति के लिए ॥''
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