"दूसरों के लिए जमा करता रहा आतंक,
ब्याज का वही तो भुगतान कर रहे हैं ।
कुर्बानी देना सिखलाया था परन्तु आज,
गुरुओं को ही वो कुर्बान कर रहे हैं ॥
दुनिया के लिए विषबीज बोता रहा किन्तु,
आज वही बीज परेशान कर रहे हैं ।
जिन आतंकियों को जेहादी बोलता था पाक,
ख़ुद को वही लहूलुहान कर रहे हैं ॥"
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