"ख़ुद को जो मानते हैं महारथियों का दल,
हर एक पार्टी ही धैर्य तजने लगी ।
करने पराजित विरोधयों को एक-एक,
रणबांकुरों की फिर फौज सजने लगी ।।
हार नहीं जांय कहीं युद्ध में हमारे नाथ,
हर मंदोदरी शिव नाम भजने लगी ।
घोषित किए गए जो लोकसभा के चुनाव,
देखो राजनीति में दुंदुभी बजने लगी ।।"
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