"इतनी मेहरबानी मत कीजिये ज़नाब,
कारनामे देखे हर एक सरकार के ।
जनता को सपने दिखाओ मत और, क्योंकि
आप बोलते हो लाभ सोच के विचार के ।।
गरीबी मिटायेंगे या फिर रोज़गार देंगे,
जानते हैं सब हथकंडे हैं प्रचार के ।
कितने बेरोज़गार आत्महत्या कर चुके,
और यहाँ होते रहे वादे रोज़गार के ।।"
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