"कितने दिवाने हुए भारतीय नौजवान,
हर किसी पर प्रेम का सुरूर छाया है ।
बैलेंटाइन डे पे अश्लीलता दिखे न ऐसा,
संस्कारवादियों ने हौसला दिखाया है ।।
ये विदेशी सभ्यता है, रोकने के ही निमित्त,
प्रेम के पुजारियों पे पहरा लगाया है ।
सच ये ज़माना चाहे पहरे बिठाले लाख,
किन्तु प्रेमियों को भला कौन रोक पाया है ।।"
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