"दूषित विचार कर बैठा मन का विकार,
देख लीजियेगा शब्द-शब्द में कटार है ।
लेकर तो बैठे हैं गुबार बेशुमार किन्तु,
इस दंश का बताओ कौन सूत्रधार है ।।
ऐसा लगता है चाटुकारिता का बोलबाला,
सौ हुए बीमार किन्तु एक ही अनार है ।
दावे करता चुनाव में जो निष्पक्षता के,
आज ख़ुद ही वो पक्षपात का शिकार है ।।"
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