"वाहे गुरु का मिले आशीष, हों शतायु आप,
ताकि इस भृष्ट राजनीति का निदान हो ।
दागी और अपराधियों के मध्य संसद में,
अंधकार में भी दीप जैसे विद्यमान हो ।।
किन्तु उम्र की थकान और रोग का प्रहार,
शक्तिहीन होते, किन्तु आज शक्तिमान हो ।
वेद कहें ईश्वर का ध्यान कीजियेगा किन्तु,
आप इस उम्र में भी देश के प्रधान हो ।।"
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